कोख में जिस को है मारा लड़का था वो, लड़की नहीं थी। कोख में जिस को है मारा लड़का था वो, लड़की नहीं थी।
कमबख्त इश्क़ तो हुआ, वाह ! क्या यह कम था ! कमबख्त इश्क़ तो हुआ, वाह ! क्या यह कम था !
फूल बनकर घर के गुलशन को ज़र्रा-ज़र्रा महकाऊँ। फूल बनकर घर के गुलशन को ज़र्रा-ज़र्रा महकाऊँ।
क्यूंकि अपनी मांगे पूरी करवाने की खातिर वो हर रात पीछा करता जाता है। क्यूंकि अपनी मांगे पूरी करवाने की खातिर वो हर रात पीछा करता जाता है।
इंसान कम सुनता है, ज्यादा भड़कता है। इंसान कम सुनता है, ज्यादा भड़कता है।
और जो वो अधूरी पंक्तियाँ मुझपर लिख डाली तुमने बस वही गुनगुनाये जा रही हूँ और जो वो अधूरी पंक्तियाँ मुझपर लिख डाली तुमने बस वही गुनगुनाये जा रही हूँ